Saturday, September 27, 2008

एक तरी मैत्रीण

एक तरी मैत्रीण अशी हवी


एक तरी मैत्रीण अशी हवी
जरी न बघता पुढे गेलो तरी
मागुन आवाज देणारी
आपल्यासाठी हसणारी
वेळ आलीच तर अश्रूही पुसणारी

स्वतःच्या घासातला घास
आठवणीने काढुन ठेवणारी
वेळप्रसंगी आपल्या वेड्या मित्राची
समजुत काढणारी

वाकडं पाऊल पडताना मात्र
मुस्कटात मारणारी
यशाच्या शिखरांवर
आपली पाठ थोपटणारी

सगळ्यांच्या गलक्यात
आपणास सैरभैर शोधणारी
आपल्या आठवणीनं
आपण नसताना व्याकुळ होणारी

खरंच ! अशी एक तरी जीवा-भावाची
"मैत्रीण" हवी जी आपणास मित्र म्हणवणारी

- एक अपरीचित कवीची कविता

Bhag Tila Sagun

Monday, July 21, 2008

Ghol Jhala AAhe.....

एक चिडिया को एक सफ़ेद गुलाब से प्यार हो गया ...

एक चिडिया को एक सफ़ेद गुलाब से प्यार हो गया , उसने गुलाब को प्रपोस किया , गुलाब ने जवाब दिया की जिस दिन मै लाल हो जाऊंगा उस दिन मै तुमसे प्यार करूँगा , जवाब सुनके चिडिया गुलाब के आस पास काँटों में लोटने लगी और उसके खून से गुलाब लाल हो गया, ये देखके गुलाब ने भी उससे कहा की वो उससे प्यार करता है पर तब तक चिडिया मर चुकी थीइसीलिए कहा गया है की सच्चे प्यार का कभी भी इम्तहान नहीं लेना चाहिए,क्यूंकि सच्चा प्यार कभी इम्तहान का मोहताज नहीं होता है ,ये वो फलसफा; है जो आँखों से बया होता है , ये जरूरी नहीं की तुम जिसे प्यार करो वो तुम्हे प्यार दे ,बल्कि जरूरी ये है की जो तुम्हे प्यार करे तुम उसे जी भर कर प्यार दो,फिर देखो ये दुनिया जन्नत सी लगेगी प्यार खुदा की ही बन्दगी है ,खुदा भी प्यार करने वालो के साथ रहता है